Sunday, October 28, 2018

gunehgaar ham sab hai


गुनेहगार हम सब हैं ।





रोहित एक सुबह अपने घर से बिना बताऐ निकल गया । वह करीबन सात साल का था । बताता तो मम्मी पापा जाने नही देते । दोस्तों के साथ वो चुप चाप सुमसान रास्ते में चल दिया । उसके दोस्त भी घर से बिना बताऐ निकले थे । वे सभी आज कुछ मस्ती धमाल करना चाहते थे । सभी दोस्त गाँधी पार्क पहुँच गये । वहाँ पर काफ़ी चर्चा करने के बाद उन्होने कबड्डी खेलने की योजना बनाई । अब पार्क में कबड्डी का खेल शुरु हो गया । रोहित बहुत ही फ़ुर्ती के साथ खेलता था, उसे खेलते समय होश न रहता था । कबड्डी की पहली पारी खत्म हुई रोहित की टीम जीत गयी ।
दूसरी पारी शुरु हुई ही कि रोहित के पैर से खून निकलने लगा । उसके एक दोस्त बलराम ने देख लिया और उससे पूछा यार ये तेरे कैसे लग गयी। रोहित ने कहा मुझे खुद नहीं पता यार। एक दोस्त भागता हुआ चुंगी चौराहे से बैन्डेज ले आया और चोट वाली जगह पर बैन्डेज लगा दी । अब सारे दोस्त बोले छोडो यार कल आयेंगे खेलने अब घर चलते हैं। रोहित भी मान गया और घर चला गया। घर पहुँचा ही था कि माँ ने कहा ‘कहाँ गया था रे कम्बखत बिना बताये आज तेरी खैर नहीं। रोहित रोने लगा। एक तो उसके पैर के घाव में भी दर्द हो रहा था ऊपर से उसकी माँ शेरनी की तरह दहाड रही थी। चुप क्यूँ है बता-माँ ने कहा । माफ़ कर दो माँ आगे से ऐसा नहीं करूँगा- रोहित ने माँ से कहा ।
माँ को और भी काम थे इसीलिये वो उस बात को छोडकर अपने काम में लग गयी । रात होने को आयी थी और रोहित के पैर में सूजन बढ रही थी। रोहित किसी को बिना बताऐ चुप चाप सो गया था। अगले दिन जब उससे चला नहीं जा रहा था,दर्द सहन नहीं हो रहा था। तो उसने मम्मी पापा को अपनी आपबीती सुनाई। पापा आनन फ़ानन में उसे आर के मिशन होस्पीटल ले गये। वहाँ डाक्ट्रर को दिखाया तो डाक्ट्रर ने बोला कि इसके टिटनेस बन गयी है और पैर काटने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है । रोहित के पापा ने जब डाक्टर से इसका कारण पूछा तो डाक्टर ने कहा ये ब्लेड या लोहे की किसी पैनी चीज से कटने से हुआ है । डाक्टर ने कुछ ही घण्टों बाद रोहित का पैर काट दिया । और रोहित अच्छे भले रूप से विक्लांग हो गया । उछलने कूदने वाले रोहित की जिन्दगी को किसकी नजर लग गयी । रोहित की माँ रोहित को हमेशा सुनाती रहती कि तूने अपने पाँव पर खुद ही कुल्हाडी मारी है । एक शाम आ ही गयी जब रोहित के पिताजी घर को लौट रहे थे तब उन्होने रास्ते में देखा कि एक व्यक्ति अपने घर का कचरा बालकोनी से नीचे डाल रहा था । तभी एक भूख से बिलखता हुआ कुत्ता उस कचरे में मुँह मारने के लिये आ गया। जैसे ही उसने कचरे को फ़ैलाना चालू किया कि वह चीं चीं कर रोने लगा।
जब देखा तो पता चला उस कुत्ते के मुख पर शेविंग ब्लेड से घाव हो गया है । उन्होने बिना शर्म किये कुत्ते को गोदी में उठाया और घर ले आये । घर आते ही उन्होने आवाज लगाई रोहित की माँ जरा फ़स्ट ऐड बोक्स ले आना ।
रोहित की माँ आयी और फ़स्ट ऐड बोक्स देते हुए बोली ये क्या जी, तुम इस सडक छाप कुत्ते को घर ले आये । रोहित के पिता ने कहा कि इस कुत्ते ने आज हमें सच बता दिया । क्या मतलब रोहित की माँ ने कहा । असल में रोहित की खराब हालत का जिम्मेदार रोहित नहीं बल्कि हम लोग हैं जो घर की चीजें सेविंग ब्लेड,कैची,कील,आरीपत्ता जैसी नुकीली चीजें यूँ ही कचरे में फ़ेंक देते हैं जिससे मनुष्य तथा जानवर इसके संपर्क में आकर चोटिल हो जाते हैं । इन्हें कम से कम 5 से 10 फ़ीट गहरे गड्डे में दबाना चाहिये । आज जब मैने इस कुत्ते के साथ ऐसा होते हुए देखा तो मुझे सच्चाई का बोध हुआ । हमें जागरुकता फ़ैलानी होगी जिससे रोहित जैसे और कई लोगों की जिन्दगी बर्बाद न होने पाए ।
क्यूँ न हम आज से ही शपथ लें कि हम इस बात की ओर पूर्ण ध्यान देंगे ।
                विजय महाजन ‘प्रेमी’

Friday, October 26, 2018

बन्दर ने किताब क्यों फाड़ी .....
      

यह व्यंग पंजाब केसरी में प्रकाशित हुआ था जिसमे बंदरो के गुट ने लाइब्रेरी में सजी हुई किताबे फाड़ दी ...
हमने यह व्यंग पड़ा और इसके खूब आनंद लिए अब आपकी बारी है ....


UNKE LIYE BACHPAN BHI EK SAJA HAI


उनके लिए बचपन भी एक सजा है....






हम उनसे बेहतर जिन्दगी व्यतीत कर रहे हैं. और एक बेचारे वो लोग हैं जो दिनभर भीख मांगते, कचरा बीनते और इसी तरह के अनेक काम जो हमारी नजर में छोटे हैं, करते नजर आते हैं. उनके जीवन यापन का सिर्फ यही विकल्प होता है. उनका बचपन यूँ ही कुपोषण में ही बीत जाता है. जब वो रात में अपनी झुग्गी झोपड़ियों में जाते हैं तो लोरी सुनाकर सुलाने वाली माँ बीडी पी रही होती है और बाप देशी दारु पीके टुल्ल पड़ा होता है और बेमतलब में गन्दी गन्दी गालियाँ निकाल रहा होता है.
  1.     रात बीतती है अगला सवेरा होता है वो सजा भुगत रहे मासूम निकल पड़ते है पेट के लिए. अगर वो भीख न मागें तो शायद उन्हें भूखे ही सोना पड़े. और कडवा सच तो यह है कि भिखारी को कोई काम भी नही मिल पाता क्योंकि वह लोगों की नजरो में विश्वास के काबिल नही होता ......

पढ़ते रहें.................

DARK HOURSE BOOK REVIEW

डार्क हॉर्स BoOk ReViEw एक अनकही दास्ताँ...... मुखर्जी नगर एक ऐसी जगह जहाँ लोग जाते हैं. बहुत सी किताबों और जिम्मेदारियों के बोझ के साथ.....